बुद्धि परीक्षा पहेली मज़ेदार दिमागी कसरत
इंस्टाग्राम पर अपने फॉलोअर्स के लिए मज़ेदार पहेली सवाल पोस्ट करना चाहते हैं, तो यहाँ कुछ शानदार हिंदी पहेलियाँ हैं:
यह सवाल एक प्रसिद्ध पहेली है जो गणित और तर्क को थोड़ा भ्रमित करने वाले तरीके से पेश करती है। आइए इसे चरण-दर-चरण समझते हैं और देखते हैं कि "1 रुपया कहाँ गया" का जवाब क्या है।
कहानी का विश्लेषण:
- शुरुआत में:
- तीन दोस्तों ने 30 रुपये में कमरा लिया, हर एक ने 10 रुपये दिए।
- कुल: 10 + 10 + 10 = 30 रुपये।
- होटल वाले ने छूट दी:
- होटल वाले ने 5 रुपये वापस किए।
- मतलब, कमरे की असल कीमत अब 30 - 5 = 25 रुपये हो गई।
- वेटर का हिस्सा:
- 5 रुपये तीन दोस्तों में बराबर नहीं बंट सकते थे, तो वेटर ने 2 रुपये रख लिए और 3 रुपये दोस्तों को लौटा दिए।
- हर दोस्त को 1 रुपया मिला (3 रुपये ÷ 3 दोस्त = 1-1-1)।
- हर दोस्त का खर्च:
- शुरू में हर एक ने 10 रुपये दिए थे, अब 1 रुपया वापस मिला, तो हर एक का शुद्ध खर्च = 10 - 1 = 9 रुपये।
- तीनों का कुल खर्च = 9 + 9 + 9 = 27 रुपये।
- भ्रामक हिसाब:
- सवाल कहता है: 27 रुपये (दोस्तों का खर्च) + 2 रुपये (वेटर के पास) = 29 रुपये।
- शुरू में 30 रुपये थे, तो "1 रुपया कहाँ गया?"
भ्रम का कारण:
यहाँ भ्रम इस बात से पैदा होता है कि हम गलत चीजों को जोड़ रहे हैं। 27 रुपये (दोस्तों का शुद्ध खर्च) और 2 रुपये (वेटर की टिप) को जोड़ना सही हिसाब नहीं है, क्योंकि ये दो अलग-अलग पहलुओं को मिला रहे हैं। असल में हमें यह देखना चाहिए कि 30 रुपये का हिसाब कैसे पूरा होता है।
सही हिसाब:
- शुरू में दिए गए 30 रुपये का बंटवारा:
- 25 रुपये: होटल को कमरे की कीमत के रूप में।
- 2 रुपये: वेटर ने रख लिए।
- 3 रुपये: दोस्तों को वापस मिले (1-1-1)।
- कुल: 25 + 2 + 3 = 30 रुपये।
यहाँ 1 रुपया "गायब" नहीं हुआ; वह शुरू से ही 30 रुपये के हिसाब में शामिल है।
दूसरा नजरिया:
- दोस्तों ने कुल 27 रुपये खर्च किए (9-9-9), जो इस तरह बंटे:
- 25 रुपये होटल को गए।
- 2 रुपये वेटर को गए।
- 27 रुपये का कोई हिस्सा गायब नहीं है; बस 30 रुपये से 3 रुपये वापस मिले, जो दोस्तों के पास हैं।
जवाब:
"1 रुपया कहाँ गया?" का सवाल गलत ढंग से पूछा गया है। 1 रुपया गायब नहीं हुआ; यह हिसाब के भ्रम से पैदा हुआ है। सही हिसाब में 30 रुपये पूरी तरह से बंट गए: 25 रुपये होटल को, 2 रुपये वेटर को, और 3 रुपये दोस्तों को।
तो, 1 रुपया कहीं नहीं गया—यह सिर्फ गणित का एक चालाकी भरा भ्रम है!
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